मुंबई:
मुंबई से 150 किलोमीटर दूर, ठाणे का धसई गांव देश का पहला कैशलेस गांव बना, लेकिन 5 महीने बाद ही यहां बगैर कैश के काम चलाना मुश्किल हो गया है. लोगों की शिकायत है नेटवर्क के बगैर दुकानों में लगी मशीनें बेकार हैं और बैंकों से भी मदद नहीं मिल रही.
1 दिसंबर 2016 को महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनघंटीवार ने घसई में अपने कार्ड से खरीदारी करते हुए कहा था "यहां का चावल बहुत अच्छा है. सो मैंने कार्ड के जरिये पांच किलो चावल खरीदा." कुल मिलाकर पूरे तामझाम से मुंबई के करीब ठाणे जिले का धसई गांव दिसंबर 2016 में देश का पहला कैशलेस गांव कहलाया. सूबे के वित्त मंत्री ने भी खरीदारी कर वाहवाही लूटी, लेकिन अब यहां के स्थानीय निवासी छगन घरत का कहना है, "जो भी स्वाइप मशीन हैं वहां नेटवर्क नहीं है, ट्रांजेक्शन नहीं हो रहा. सरकारों ने करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन अब सारा ट्रांजेक्शन कैश में ही हो रहा है. मंत्री जी आए. उन्होंने बोला था कैशलेश करेंगे, लेकिन एक बार गए तो फिर दिखे ही नहीं... कुछ किया ही नहीं. वहीं गोविंद पवार का कहना था "सब डिब्बे में गया. धसई में धंधा करेंगे पैसे निकालने तीन किलोमीटर जाएंगे, तो फायदा क्या... सबने मशीनें बंद करके रखी हैं.